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Tuesday, May 1, 2012

लगा के प्यार मैं दिमाग
वो दिल को बहलाना चाहते हैं

डर डर के वो रखते हैं अब हर कदम मोहब्बत मैं 
और मोहब्बत का एहसास चाहते  हैं

जिन्दगी को करके बन्द हाथों मैं
वो खुले आकश मै उडना चाह्ते हैं

मोहब्बत पर लिखकर चन्द लाइने खुश होते हैं
मगर उसकी एक  दस्तक से भी घबराते हैं

लोगों को दिखाने को वो हंसतें है
मगर तन्हाई मैं खुद को आइने से भी बचाते हैं

प्यार के एह्सास से बनाकर इस कदर दूरी
मोहब्बत का एह्सास ना छूट जाये

जिन्दगी का ये अनुपम तोहफा कही
 झूठे अहं की भेंट न चढ जाये 

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