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Wednesday, September 29, 2010

बना दो फिर से मेरे भारत को महान

न अल्लाह रहता है मस्जिद में

न राम रहता है मन्दिर में

ये दोनो तो बस रहते हैं

इंसान के ही दिल में

हम सबको पता है ये बात

लेकिन फिर भी कहाँ मानते हैं

हम राम की बात या अल्लाह का फरमान

बस निकल पडते है ले के मौत का सामान

जो उससे मरता है 

वो ना होता है हिन्दू ना होता मुसलमान

वो तो होता सिर्फ अल्लाह या राम

कितनी बार दफन होगा अल्लाह

कितनी बार जलेगा राम

कितने बार उजडेंगें मन्दिर

कितनी बार खाक होगी मस्जिद

अब तो तू मुझे बता ऐ खुदगर्ज इंसान

अब तो जागो ऐ मेरे वतन के लोगों

मिटा दो फिर आज फिर इन राजनीते के शैतानों को

जो घोल रहे है मेरे देश की फिजाओं में जहर

जो बना रहे है मेरे देश को खून की नहर

अंग्रेजों को तो भगा दिया दे दे कर कुर्बानी

इनको फिर क्यों पाल रहे दे दे कर कुर्बानी

मिटा दो इनका नामो निशान

बना दो फिर से मेरे भारत को महान

बना दो फिर से मेरे भारत को महान

5 comments:

  1. सुन्दर विचार

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  2. आपका ब्लॉग अच्छा लगा . अल्लाह आपको बनाए लोगों के दुखों में काम आने वाला .
    झगड़े की बुनियाद है हिमाक़त
    हिन्दुस्तान में दीन-धर्म का झगड़ा सिरे से है ही नहीं।
    हिन्दुस्तान में झगड़ा है सांस्कृतिक श्रेष्ठता और राजनीतिक वर्चस्व का। जो इश्यू ईश्वर-अल्लाह की नज़र में गौण है बल्कि शून्य है हमने उसे ही मुख्य बनाकर अपनी सारी ताक़त एक दूसरे पर झोंक मारी। नतीजा यह हुआ कि हिन्दू और मुसलमान दोनों ही तबाह हो गए। तबाही सबके सामने है। इस तबाही से मालिक का नाम बचा सकता है लेकिन आज उसके नाम पर ही विवाद खड़ा किया जा रहा है।
    झगड़ा ख़त्म होता है हिकमत से
    अल्लाह की हिकमत और नबियों की सुन्नत के मुताबिक़ मैं अपने मुख़ातब की ज़बान में ही बात करता हूं। मुसलमान से बात करता हूं तो उसे मालिक का नाम लेकर उसका हुक्म उसी ज़बान में बताता हूं जिसे वह समझता है और जब हिन्दी-संस्कृत जानने वालों से संवाद करता हूं तो फिर मेरी भाषा बदल जाती है लेकिन पैग़ाम नहीं बदलता।
    मेरा अक़ीदा, मेरा मिशन
    ‘व इन्नल्लाहा रब्बी व रब्बुकुम फ़-अ़-बुदूहू, हाज़ा सिरातुम्मुस्तक़ीम‘

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  3. इस सुंदर से नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए आपको शुभकामनाएं !!

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  4. bahut achchi post...

    खुदा और उसके सच को बांध सको तो बांध लो,
    गिरजों में, मंदिरों में, मज़्जिदों में या और इबादत गाहों में,
    गर कभी उसे पा जाओ, तो जानोगे,
    वो रहता नहीं इमारतों में या उनकी बनाई सरहदों में.


    सुनी सुनाई बातों पे झगड़ा ना करो,
    महसूस करो उसको, फिर जानोगे,
    मोहब्बत बसती है उसकी हाज़री में,
    अमन बसता है उसकी पनाहों में.

    हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है!

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  5. ब्लाग की दुनिया में आपका स्वागत है। आपकी रचना को ब्लाग वार्ता पर देख कर खुशी हुयी ।
    कोशिश करूँगी कि भारत को महान बनाने की दिशा में कुछ जरूर करूँ ।
    आपकी पोस्ट वर्तमान परिस्थितियों को सुधारने के लिये सटीक आह्वाहन है

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