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Friday, March 30, 2012

तेरी खामोशी





तेरी हर खामोशी को समझता हूं मैं
तेरे मन् की गहराई का पता है मुझे

तेरी सासों की खुशबू को पहचानता हू मैं
तेरे हर दर्द का एहसास है मुझे

चाँदनी रात मे तेरे एहसास को महसूस करता हूँ मैं
क्योंकि तेरे ख्याबों में जीना है मुझे

जिन्दगी से बस यही चहता हू मैं
मरने से पहले तेरा साथ मिल जाये मुझे

1 comment:

  1. मन कहता तो है यकी कर ही लूं हर शब्द पर तेरे, मगर फिर सोचती हूँ कोई वजह भी तो हो यकी करने के लिये ... चाहत होती है कई बार बाटँ लेने की दर्द मगर, सोचती हूँ कि यही तो वजह है मेरी जिन्दगी जीने ले लिये ..... साथ रहती हैं सदा मेरे मेरी तनहाइयां , साथ फिर कैसे ले लूँ तेरा ये बता दीजिये अब हमे, ना होगीं जब जीवन में चाँदनी रातें , उस पल क्या ना होगा मेरा अहसास ये भी जरा बता दीजिये अब हमे.....

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