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Tuesday, April 19, 2011

तुम्हारे हर शब्द

























तुम्हारे हर शब्द मैं एक शक्ति है।


तुम्हारी आवाज मैं जिन्दगी की सत्यता है।

मेरे विचलित मन मै जब तिम्हारे शब्द गूंजते हैं।

तब मेरा विश्वास और द्र्ढ हो जाता है।

और मैं जिन्दा रहने के लिये और सशक्त हो जाता हूं।

दीप बनकर मैं बाती का सानिध्य चाहता हूं

कतरा हो चली जिन्दगी।

तुम्हारी खुशियों की खातिर हंस के बिताना चाहता हूं