इस अंधियारी राह में
मै अपना नाम ढूँढता हूँ
आज के इस जहाँ में
राम रहीम नानक यीशू के
पैगाम ढूँढता हूँ
इंसान से बने हैवान की आँखों में
मै आज मासूमियत के ख्वाब ढूँढता हूँ
मौत के किनारे वक्त की रेत पर
बना कर घरौंदा मै
जिन्दगी की लहर ढूँढता हूँ
चिलचिलाती धूप में भी
बारिश की फुहार ढूँढता हूँ
आतंक के साये में रह कर
मै अमन की राह ढूँढता हूँ
वक्त के धुधले पडे आइने में
मै अपनी पहचान ढूँढता हूँ